कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर का जीवन परिचय व साहित्य में स्थान

             कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर का जीवन                               परिचय व  साहित्य  में स्थान

प्रस्तवाना - स्वन्त्रता सेनानी की ज्योती  को प्रज्ज्वलित करने वाले राष्ट्रभक्तों पत्र करीता की साधना में रक्त साहित्य गद्यशैली करों में प्रभाकर जी विशिष्ट रचना के अधिकारी हैं। 

अपनी सामर्थ्य लेखनी के माद्यम से इन्होंने राष्ट्रीय जीवन की मार्मिक झांकी प्रस्तुत की है। हिंदी में लघु कथा संस्मरण रेखाचित्र और रिपोर्ताज आदि अनेक विधाओं के विकाश में इनका विशेष योग दान रहा है। एक आदर्शवादी पत्रकार के रूप में इन्होंने पत्रकारिता को अपनी सवार्थ सिद्धि को बनाने के स्थान पर उच्च मानवीय मूल्यों के लिए विकास का साधन बनाया।

कन्हैया लाल मिस्र प्रभाकर

                                  परिचय

प्रभाकर जी का जन्म सन 1906 ई0 में देवबंद(सहारनपुर) के  एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था । इनके पिता का नाम  पंडित रामदत्त मित्र था। वे कर्मकांडो के ब्राह्मण थे। प्रभाकर जी प्रारंभिक शिक्षा ठीक से नहीं हो पाई क्योकि इनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। वह असरफ अली ( राष्ट्रीय नेता ) की भाषण सुनकर इतना अधिक प्रभावित हुए की परीक्षा बिच में ही छोड़कर चले आये और राष्ट्रीय आंदोलन में कूद पड़े ततपश्चात इन्होंने अपना संपूर्ण  जीवन राष्ट्रीय सेवा के लिए अर्जित कर दिया। 1930ई0 से 1932ई0 तक तथा 1992 ई0 में जेल रहे। इस अवधि में इनका सम्बन्ध राष्ट्र के बड़े नेताओं से हुआ।
   भारत के स्वतंत्र होने के बाद ये स्वयं को पत्रकारिता में लगा दिया। लेखक के अतिरिक्त आपने व्यक्तित्व स्नेह और संपर्क से भी उन्होंने हिंदी के अनेक नए लेखक को प्रेरित और प्रोत्साहित किया ।19मई 1995 ई0 को इस महँ साहित्यकार का निधन हो गया।
   



                   कृतियां व रचनाये

प्रभाकर जी ने हिंदी की विविध विधाओं में उनके  अनेक  ग्रन्थ अभी तक प्रकाशित हो चुके है।

रेखाचित्र- नयी पीढ़ी के विचार , ज़िन्दगी, मुस्करायी, मारि हो गयी सोना, भूले बिसरे चेहरे।

लघुकथाआकाश के तारे, धरती का पुष्प।

संस्मरणदीप जले शंख बजे।

ललित निबंध-    क्षण बोले और कण मुस्कुराये, बजे पायलिया के घुंघुरू ।

संपादन- प्रभाकर जी ने नया जीवन और विकास नामक दो समाचार पत्रों का संपादन किया इन पत्रों ने प्रभाकर जी के समाजिक और शैक्षिक समस्याओं पर आशावादी और निर्भीक विचारों का परिचय मिलता है।





         कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर साहित्यिक परिचय

हिंदी के श्रेष्ठ रेखा चित्र , संस्मरण कारों और निबंधकारों में प्रभाकर जी का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उनकी रचनाओं में कलागत आत्मपरकता और संस्मरणकता को ही प्रमुखता प्राप्त हुई है । पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रभाकर जी को अपूर्ण सफलता मिली है। पत्रकारिता को उन्होंने सेवार्थ सिद्धि का साधन नहीं बनाया लेकिन इसका उपयोग उच्च मानवीय मूल्यों की स्थापना में किया । साहित्य के क्षेत्र में आपकी सेवाएं संस्मरणीय हैं। पत्रकारिता में आपने क्रांतिपूर्ण कदम बढ़ाया। आपकी पत्रिका है ज्ञानदेव ।

        इन्होंने अनेक साहित्यकारों को उभारा है । जिन्होंने सहारन पुर से प्रकाशित होने वाली पत्रिका नवजीवन का भी संपादन किया। नए नए साहित्यकारों के लिए आप स्नेहमय एवम भावपूर्ण लेख लिखते रहे। तथा उनका मार्ग प्रशस्त करके आपने हिंदी साहित्य को नए आयामो से ।परिचय कराया । हिंदी साहित्य की निरंतर सेवा में मृत्यु प्रयंत संलग्न रहे। आप आदर्श साहित्यकार हैं । आपकी गणना रेखाचित्र,संस्मरण ,  तथा  ललित  निबंध में की जाती है। कुछ विशेष  विद्वानों ने इनके विषय में कहा है --"इनके लेख इनके  राष्ट्रीय जीवन की मार्मिक संस्मरणों  की जीवन झाकियां है। जिसमे भारतीय स्वाधीनता के इतिहास के महत्वपूर्ण दृस्टि भी है।"





      कन्हैया लाल मिस्र प्रभाकर की भाषा शैली

प्रभाकर जी की भाषा किसी प्रकार की कृतिमता से रहित सरल और सुबोध खड़ी बोली है। वह प्रसाद युक्त सरल सुबोध और स्वाभाविक है। आप की भाषा का प्रसाद  गुण है। आप चित्रात्मक नए नए मुहावरों लोकोक्तियों ओ सूक्तियों। का प्रयोग करके उन्हें साहित्य की  भाषा में  नविनता की झलक प्रस्तुत किये हैं । आप की भाषा सामान्यतया तत्सम सब्द प्राधान सुध तथा साहित्यिक कड़ी बोली है। आप की कवित्व पूर्ण शैली उल्लेखनीय है।  आपकी  भाषा  मानवी भावना से लोट पोट है।


                          शैली

  श्री प्रभाकर हिंदी के मौलिक शैलीकार है । आप की गद्य शैली इस प्रकार है।

भावात्मक शैली   इस शैली का प्रयोग सा संस्मरण , रिपोताज एवम लघु कथा में किया जाता है।इसकी भाषा सरल तथा कलात्मक है।  इसके वाक्य सरस तथा छोटे छोटे होते हैं। यह शैली पाठकों को आत्म विस्मृत कर देने की क्षमता है।

वर्णात्मक शैली -   इस। शैली का प्रयोग  वहां हुआ है। लेखक ने  विषय वस्तु का वर्णन किया है। इस शैली की भाषा  सरल  व व्यहारिक है। इसका प्रयोग  लघु  कथाओं में और संस्मरणों में किया गया है।

चित्रात्मक शैली - प्रभाकर जी सब्द चित्र अंकित करने में आपने चित्रात्मक शैली अपनाते हुए शब्द चित्र खीचें हैं। जिससे पाठक पे तुरंत इसका प्रभाव पड़ता है।



                 साहित्य में स्थान 



कन्हैया लाल मिस्र प्रभाकर प्रतिभा संपन्न गद्यकार थे । इंहोने हिंदी गद्य के अनेक विचारों , विधाओं  ओर  अपनी लेखनी  चलाकर। उसे समृद्ध किया है। पत्रकारिता एवं रिपोर्ताज के क्षेत्र में इनका अद्वितीय स्थान है । हिंदी भाषा के साहित्यकारों ।के अग्रणी और अनेक  दृष्टि यों से एक समर्थ गद्यकार के रूप में प्रतिष्ठित इस महान साहित्यकार का मानव मूल्यों की सजा प्रहरी के रूप में सदैव स्मरण किया जायेगा।



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Comments

  1. साहित्यिक हस्तियों के ऐसे परिचय और कही नहीं मिलते !

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  3. लेख के साथ लगा फोटो प्रभाकर जी का नहीं है . इनकी पत्रिका का नाम ज्ञानदेव लिखा गया है जो गलत है. प्रभाकर जी ने ज्ञानोदय का संपादन किया है. इनके अख़बार का नाम विकास साप्ताहिक था , बाद में इन्होने विश्वास भी निकाला था. डा.वीरेन्द्र आज़म सहारनपुर

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